गुरुवार, 15 सितंबर 2016

एक ही नगर में

कविता 
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एक ही नगर में
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एक ही नगर में  रहते  हैं  पांच  कवि 
खूब   प्रकाशित   होते  हैं 
साहित्यिक  पत्रिकाओं  में 
दूसरे  नगर  से  देखने  पर 
समृद्ध  लगता  है  ये  नगर 

एक  ही नगर  में  रहते  हुए 
एक  कवि  को  दूसरे  कवि  की  खबर  नहीं हैं 
पहला  कवि  नहीं  जानता  दूसरे  कवि  ने 
बदल  लिया  है  मकान 
दूसरा  कवि  नहीं  जानता  तीसरा  कवि 
भर्ती  है  अस्पताल  में 
चौथा  कवि  किसी  अन्य  को 
कवि   नहीं   मानता 
पांचवां  कवि  अब  भी  कभी  कभी 
जाता  है   कॉफी   हाउस 

पांचों  कवि   मिलते  हैं अपने  ही  नगर  में 
किसी  साहित्यिक  समारोह  में 
जिसमें  मुख्य  अतिथि  होते   हैं 
राजधानी  से  आये  नामवर  आलोचक 

अपने  ही  नगर  में  पांचों  कवि 
इस  तरह  मिलते  है  गले 
मिले  हों  वर्षों  बाद 
जैसे   आये  हों  दूसरे  नगरों  से 
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