कविता
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काम से लौटती स्त्रियां
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जिस तरह हवाओं में लौटती है खुशबू
पेड़ों पर लौटती हैं चिड़ियाँ
शाम को घरों को लौटती है काम पर गई स्त्रियां
उदास बच्चों के लिए टाफियां
उदासीन पतियों के लिए सिगरेट के पैकिट खरीदती
शाम को घरों को लौटती है काम पर गई स्त्रियां
काम पर गई स्त्रियों के साथ
घरों में लौटता है घरेलूपन
चूल्हों में लौटती है आग
दीयों में लौटती हैं रोशनी
बच्चों में लौटती है हंसी
पुरुषों में लौटता है पौरुष
आकाश अपनी जगह दिखाई देता है
पृथ्वी घूमती है धूरी पर
शाम को घरों को लौटती हैं काम पर गई स्त्रियां
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